रविवार, 5 फ़रवरी 2023

परलोक और पुनर्जन्म (पोस्ट 01)


परलोक और पुनर्जन्म का सिद्धांत हिंदूधर्म की ख़ास संपत्ति है | जैन और बौद्धमत भी एक प्रकार से हिन्दूधर्म की ही शाखाएँ मानी जा सकती हैं; क्योंकि वे इस सिद्धांत को मानते हैं | इसलिये वे हिन्दू धर्म के अंतर्गत हैं | मुसलमान और ईसाईमत इस सिद्धांत को नहीं मानते ; परन्तु थियासफी सम्प्रदाय के उद्योगों तथा  प्रेतविद्या  (Spiritualism)- के चमत्कारों ने (जिसका इधर कुछ वर्षों में पाश्चात्यदेशों में काफी प्रचार हुआ है ) इस और लोगों का काफी ध्यान आकृष्ट किया है और अब तो हजारों-लाखों की संख्या में योरोप और अमेरिका के लोग भी ईसाई होते हुए भी परलोक में विश्वास करने लगे हैं | हमारे भारतवर्ष का तो बच्चा-बच्चा इस सिद्धान्त को मानता और उसपर अमल करता है | यही नहीं, यह सिद्धान्त हमारे जीवन के प्रत्येक अंग के साथ सम्बद्ध हो गया है; हमारा कोई धार्मिक कृत्य ऐसा नहीं है, जिसका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्षरूप से परलोक से सम्बन्ध न हो और हमारा कोई  धार्मिक ऐसा नहीं है, जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्षरूप से परलोक एवं पुनर्जन्म का समर्थ न करता हो | इधर तो कई स्थानों में ऐसी घटनाएँ प्रकाश में आयी हैं जिनमें अबोध बालक- बालिकाओं ने अपने पूर्वजन्म की बातें कही हैं, जो जाँचपड़ताल करने पर सच निकली हैं। । आत्मा की उन्नति तथा जगत् में  धार्मिक भाव, सुखशान्ति तथा प्रेम के विस्तार के लिये तथा पाप-ताप से बचने के लिये परलोक एवं पुनर्जन्म को मानना आवश्यक भी है।

 

शेष आगामी पोस्ट में

......गीता प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “परलोक और पुनर्जन्म (एवं वैराग्य)“ पुस्तक से             

# क्या है परलोक?

# लोक परलोक

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2 टिप्‍पणियां:

  1. 🪴💥🚩 अति मनभावन प्रस्तुति 🚩💥🪴 आदरणीय जी सादर नमन वंदन प्रणाम
    🌹🙏🙏🌹

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