शुक्रवार, 28 जुलाई 2023

नारद गीता दूसरा अध्याय (पोस्ट 05)

 



 शुकदेव को नारदजी का सदाचार और अध्यात्मविषयक उपदेश

 

शब्दे स्पर्शे च रूपे च गन्धेषु च रसेषु च ।

नोपभोगात् परं किञ्चिद् धनिनो वाधनस्य च ॥ २६ ॥

 

धनी हो या निर्धन, सब को उपभोगकाल में ही शब्द, स्पर्श, रूप, गन्ध और उत्तम रस आदि विषयों में किंचित् सुख की प्रतीति होती है, उपभोग के पश्चात् नहीं ॥ २६ ॥

 

प्राक्सम्प्रयोगाद् भूतानां नास्ति दुःखं परायणम् ।

विप्रयोगात् तु सर्वस्य न शोचेत् प्रकृतिस्थितः ॥ २७ ॥

 

प्राणियों के एक- दूसरे से संयोग होने के पहले कोई दुःख नहीं रहता । जब संयोग के बाद वियोग होता है, तभी सबको दुःख हुआ करता है । अत: अपने स्वरूपमें स्थित विवेकी पुरुष को किसी के वियोग में कभी भी शोक नहीं करना चाहिये ॥ २७ ॥

 

धृत्या शिश्नोदरं रक्षेत् पाणिपादं च चक्षुषा ।

चक्षुः श्रोत्रे च मनसा मनो वाचं च विद्यया ॥ २८ ॥

 

मनुष्य को चाहिये कि वह धैर्य के द्वारा शिश्न और उदर की, नेत्र के द्वारा हाथ और पैर की, मन के द्वारा आँख और कान की तथा सद्विद्या के द्वारा मन और वाणी की रक्षा करे ॥ २८ ॥

 

प्रणयं प्रतिसंहृत्य संस्तुतेष्वितरेषु च।

विचरेदसमुन्नद्धः स सुखी स च पण्डितः ॥ २९ ॥

 

जो पूजनीय तथा अन्य मनुष्योंमें आसक्तिको हटाकर विनीतभावसे विचरण करता है, वही सुखी और वही विद्वान् है ॥ २९ ॥

 

अध्यात्मरतिरासीनो निरपेक्षो निरामिषः ।

आत्मनैव सहायेन यश्चरेत् स सुखी भवेत् ॥ ३० ॥

 

जो अध्यात्मविद्या में अनुरक्त, कामनाशून्य तथा भोगासक्ति से दूर है, जो अकेला ही विचरण करता है, वह सुखी होता है ॥ ३० ॥

 

॥ इति श्रीमहाभारते शान्तिपर्वणि मोक्षधर्मपर्वणि नारदगीतायां द्वितीयोऽध्यायः ॥ २ ॥

 

......शेष आगामी पोस्ट में

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित गीता-संग्रह पुस्तक (कोड 1958) से

 



3 टिप्‍पणियां:

  1. 🌸🌿🌷जय श्री हरि: 🙏🙏
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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  2. 🌺🍂💐जय श्री हरि:🙏🏼🙏🏼
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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