सोमवार, 12 फ़रवरी 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण प्रथम स्कन्ध - पहला अध्याय..(पोस्ट०७)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ 

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
प्रथम स्कन्ध--पहला अध्याय..(पोस्ट०७)

श्रीसूतजीसे शौनकादि ऋषियों का प्रश्न 

अथाख्याहि हरेर्धीमन् अवतारकथाः शुभाः ।
लीला विदधतः स्वैरं ईश्वरस्यात्ममायया ॥ १८ ॥
वयं तु न वितृप्याम उत्तमश्लोकविक्रमे ।
यत् श्रृण्वतां रसज्ञानां स्वादु स्वादु पदे पदे ॥ १९ ॥
कृतवान् किल वीर्याणि सह रामेण केशवः ।
अतिमर्त्यानि भगवान् गूढः कपटमानुषः ॥ २० ॥

बुद्धिमान् सूतजी ! सर्वसमर्थ प्रभु अपनी योग-मायासे स्वच्छन्द लीला करते हैं। आप उन श्रीहरिकी मङ्गलमयी अवतार-कथाओंका अब वर्णन कीजिये ॥ १८ ॥ पुण्यकीर्ति भगवान्‌की लीला सुननेसे हमें कभी भी तृप्ति नहीं हो सकती; क्योंकि रसज्ञ श्रोताओंको पद-पदपर भगवान्‌की लीलाओंमें नये-नये रसका अनुभव होता है ॥ १९ ॥ भगवान्‌ श्रीकृष्ण अपनेको छिपाये हुए थे, लोगोंके सामने ऐसी चेष्टा करते थे मानो कोई मनुष्य हों। परन्तु उन्होंने बलरामजीके साथ ऐसी लीलाएँ भी की हैं, ऐसा पराक्रम भी प्रकट किया है, जो मनुष्य नहीं कर सकते ॥ २० ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्ट संस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


2 टिप्‍पणियां:

  1. 🙏🚩🦠🌼🌿हे मैरे मायामानूषचरित्र 🌿🍁🌼🦠🚩🙏🧎‍♂️

    जवाब देंहटाएं
  2. 🍃🕉️🌷जय श्री हरि: 🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण

    जवाब देंहटाएं

श्रीमद्भागवतमहापुराण चतुर्थ स्कन्ध - आठवां अध्याय..(पोस्ट०३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  चतुर्थ स्कन्ध – आठवाँ अध्याय..(पोस्ट०३) ध्रुवका वन-गमन मैत्रेय उवाच - मातुः सपत्न्याःा स दुर...