||श्री परमात्मने नम: ||
विवेक चूडामणि (पोस्ट .१०)
साधन चतुष्टय
सहनं सर्वदु:खानामप्रतीकारपूर्वकम् |
चिन्ताविलापरहितं सा तितिक्षा निगद्यते ||२५||
चिन्ताविलापरहितं सा तितिक्षा निगद्यते ||२५||
(चिंता और शोक से रहित होकर बिना कोई प्रतिकार किये सब प्रकार के कष्टों का सहन करना “तितिक्षा” कहलाती है)
शास्त्रस्य गुरुवाक्यस्य सत्यबुद्ध्यवधारणम् |
सा श्रद्धा कथिता सद्भिर्यया वस्तुपलभ्यते || २६||
सा श्रद्धा कथिता सद्भिर्यया वस्तुपलभ्यते || २६||
(शास्त्र और गुरुवाक्यों में सत्यत्व बुद्धि करना- इसी को सज्जनों ने “श्रद्धा” कहा है, जिससे कि वस्तु की प्राप्ति होती है )
नारायण ! नारायण !!
शेष आगामी पोस्ट में
---गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “विवेक चूडामणि”..हिन्दी अनुवाद सहित(कोड-133) पुस्तकसे
---गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “विवेक चूडामणि”..हिन्दी अनुवाद सहित(कोड-133) पुस्तकसे