☼ श्रीदुर्गादेव्यै
नमो नम: ☼
अथ
श्रीदुर्गासप्तशती
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट १६)
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट १६)
मातस्त्वन्मुदमातनोतु सुभगस्त्रीभिः सदाऽऽन्दोलितं
शुभ्रं चामरमिन्दुकुन्दसदृशं प्रस्वेददुःखापहम् ।
सद्योऽगस्त्यवसिष्ठनारदशुकव्यासादिवाल्मीकिभिः
स्वे चित्ते क्रियमाण एव कुरुतां शर्माणि वेदध्वनिः ॥ १६॥
माँ
सुन्दरी स्त्रियों के हाथों से निरन्तर डुलाया जानेवाला यह श्वेत चँवर, जो चन्द्रमा और कुन्द के समान उज्ज्वल तथा पसीने के कष्टको दूर करनेवाला
है, तुम्हारे हर्ष को बढ़ावे। इसके सिवा महर्षि ई अगस्त्य,
वसिष्ठ, नारद, शुक,
व्यास आदि तथा वाल्मीकि मुनि अपने-अपने चित्तमें जो वेदमन्त्रों के
उच्चारण का विचार करते हैं, उनकी वह मनःसङ्कल्पित वेदध्वनि
तुम्हारे आनन्दकी वृद्धि करे॥ १६॥
शेष
आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक कोड 1281 से